Sunday, 20 November 2022

मशीनी युग

किसी से अलगाव नहीं 
इतना लगाव भी नहीं 
मुख में मिठास तो है
दिल में खटास भी नहीं 
संबंधों में इतना अपनापन नहीं 
लेकिन कुछ दुराव भी तो नहीं 
न नजदीकी है न दूरी है
न कोई अच्छा है 
न कोई बुरा 
न नाराजगी है
न प्यार है
कैसा है यह झमेला 
इतनी तटस्थता 
आज यही हो रहा है
न मन का अपने
न दूसरों के मन का
यही संबंधों की है असलियत 
लगता है 
सब मशीनी है
यांत्रिकी युग में मशीन हो गया है आदमी 

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