इतना लगाव भी नहीं
मुख में मिठास तो है
दिल में खटास भी नहीं
संबंधों में इतना अपनापन नहीं
लेकिन कुछ दुराव भी तो नहीं
न नजदीकी है न दूरी है
न कोई अच्छा है
न कोई बुरा
न नाराजगी है
न प्यार है
कैसा है यह झमेला
इतनी तटस्थता
आज यही हो रहा है
न मन का अपने
न दूसरों के मन का
यही संबंधों की है असलियत
लगता है
सब मशीनी है
यांत्रिकी युग में मशीन हो गया है आदमी
No comments:
Post a Comment