वैसे तो मैं ही सीधा - सादा
बस अपने में मस्त
अपने काम से काम
नहीं किसी की निन्दा न बुराई
न किसी से लेना न देना
फिर भी यह दुनिया है न
किसी न किसी तरह लपेट ही लेती है
ऐसा जाल बुनती है
मकडी की तरह उसमें फंस ही जाता है
उससे निकलना बडा मुश्किल
यहाँ शांति से रहा नहीं जा सकता
कोई चाहे या न चाहे
परिचित हो या अंजान
सबकी नजर रहती है
सारी खोज खबर
इसी को शायद
कहते हैं दुनियादारी
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