Saturday, 26 November 2022

आओ न जरा पास बैठे

आओ न जरा पास बैठे
तुम कुछ अपनी कहो 
कुछ हम अपनी कहें 
मन की गाँठ खोले
जो कबसे पडी है
उन्हें तो तोड़े
आओ मन हल्का करें 
यह भार लेकर क्या करें 
बस कुढते रहें 
भार को हल्का करें 
सब बातों को  सुन - समझ ले 
कुछ गिला - शिकवा तुमको हैं हमसे
कुछ शिकायत हमको भी हैं तुमसे 
उन शिकायतों का पुलिंदा रख क्या होगा
प्यार हमको भी है तुमसे
प्यार तुमको भी है हमसे
फिर इस अहम् का बीच में क्या काम
आओ एहसास दिलाए 
एक - दूसरे को
तुम्हारे बिना जिंदगी बेमानी
जी तो लेते हैं सभी
अपनों के साथ जीने का मजा कुछ और ही 

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