Sunday, 1 January 2023

बेचारा बाप

सारी ममता माँ के खाते में 
पिता के पास बस जिम्मेदारी 
अपनी जिम्मेदारी निभाते - निभाते संतान  से दूरी बन जाती है
माँ जितना करीब नहीं हो पाता है
कठोर छवि बन जाती है
उसे परिवार की चिंता होती है
अपने बच्चों की परवरिश की
उनके शिक्षा और उन्नति की
वह अपने को व्यस्त कर लेता है
जब वही बच्चा पढाई के लिए दूर जाता है
हवाई अड्डे पर पहुंचने माँ  - पिता दोनों आते हैं 
माँ गले और छाती से चिपकाती है
गालो पर प्यार भरे चुंबन की बर्षाव करती है
ऑखों से ऑसू बहाती  रहती है
बेटा सांत्वना देता है
किसी तरह माँ के लाड - प्यार से अपने को छुटाकर जाता है
पिता को बस हाथ हिलाता है
पिता के मन की स्थिति को कोई नहीं जानता
अपने कलेजे के टुकड़े को को दूर भेजते हुए उसका भी मन मसोसता है
अंदर ही अंदर हिसाब-किताब भी करता रहता है
पैसे के जुगाड़ से भेजने तक सारा इंतजाम उसी का
पर बाजी मार ले जाती है माँ 
मन में बसती है माँ 
बिछुड़ती है माँ 
उसको भी सांत्वना देना है
फोन आता है माँ को
बाप पीछे से सुनता रहता है
माँ से पूछता है
क्या बोल रहा था
ठीक ठाक है न
पैसे की कमी तो नहीं है
व्यवस्थित रह रहा है न
माँ और बेटे के बीच बाप दूरदर्शक 
बेचारा बाप 

No comments:

Post a Comment