सौ वर्षों का समय
उसको गरिमा से जीना
इतना आसान नहीं होता
उसमें पतझड़ भी आया होगा
दुख और परेशानियां भी आई होगी
उन सबसे जूझना पडा होगा
लडना पडा होगा
घर और बच्चों की जिम्मेदारी निभाते - निभाते
वक्त कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलता
संघर्षों से हार न मानना
जीवन में अदभ्य जीजिविषा
बच्चों को लायक बनाना
और बेटा जब देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच जाएं
तब उस माँ की खुशी कैसी होगी
जिसके सामने सब सर झुकाएं
वह बेटा अपनी माँ के कदमों में बैठा
अपने हाथ से खिलाती माँ
मुख पोंछती माँ
चंद रुपयों की सौगात देती माँ
आज वह नहीं रहीं
हीरा बा जिसने हीरे जैसे बेटे को जन्म दिया
जिसका डंका पूरे विश्व में बज रहा है
ऐसे माॅ का जाना सबको आहत कर रहा है
तब उनके बच्चों का क्या
ईश्वर यह दुख सहने की शक्ति दे
भावभीनी श्रद्धांजलि
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