Wednesday, 8 March 2023

सृष्टि की संचालिका

नारी से नर
इसी से हैं संसार 
नारी ही सृष्टि की संपादिका
पूरा भार लेकर चलने वाली
वह पृथ्वी है
वह माता है
वह संसार की संचालिका है 
परिवार की धुरी है
वह बेटी है
वह बहन है
वह पत्नी है
वह माँ है
फिर भी वह परदे के पीछे है
उसका असतित्व?
उसका स्वाभिमान ??
उसकी महत्ता ?
शायद समझ नहीं पाया समाज
तभी तो गर्भ में ही हत्या 
इतना बडा पाप
एक जीव को 
एक सृष्टि की संचालिका को
अगर ऐसा व्यवहार होता रहा
तब संसार की
तब समाज की
सारी व्यवस्था ही गडबडा जाएंग
 वह बहुत घातक है
सम्मान कीजिए
हर उस औरत का
जो आपके साथ जुडी है
इसकी वह अधिकारी है

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