तुझसे ही है मानव जिंदगानी
तू ही सीता
तू ही दुर्गा
तू ही शक्ति स्वरूपा
तू ही लक्ष्मी तू ही सरस्वती
सब करते तेरी आराधना
अबला नहीं सबसे सबल
फिर क्यों दिखती सब पर निर्भर
सारा भार उठाती
घर संसार बनाती
सब सहेजती संवारती
भविष्य निर्माण की भागीदार
बस रहती दौड़ती भागती
जिंदगी बिता देती
नाम न पा पाती
किया ही क्या है
यह भी कभी-कभी सुन जाती
फिर भी मुस्कराती
हर बात को हंस कर टाल देती
मुसीबतों का पहाड़ टूट पडे
विचलित कभी नहीं होती
धरती है धीरज है माता है
इसी में समायी तू
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