Saturday, 20 May 2023

औरत तेरी यही कहानी

औरत तेरी यही कहानी 
तुझसे ही है मानव जिंदगानी 
तू ही सीता 
तू ही दुर्गा 
तू ही शक्ति स्वरूपा 
तू ही लक्ष्मी तू ही सरस्वती 
सब करते तेरी आराधना 
अबला नहीं सबसे सबल
फिर क्यों दिखती सब पर निर्भर 
सारा भार उठाती
घर संसार बनाती
सब सहेजती  संवारती 
भविष्य निर्माण की भागीदार 
बस रहती दौड़ती भागती
जिंदगी बिता देती
नाम न पा पाती
किया ही क्या है
यह भी कभी-कभी सुन जाती
फिर भी मुस्कराती 
हर बात को हंस कर टाल देती
मुसीबतों का पहाड़ टूट पडे
विचलित कभी नहीं होती
धरती है धीरज है माता है
इसी में समायी तू



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