आज तूने मुझे बाहर का रास्ता दिखा दिया
घर से बाहर निकाल दिया
वह घर जो मैंने बडे प्रेम से बनाया था
तुम लोगों को पाला और पोसा था
तुम्हारी शैतानिया को नजरअंदाज करती थी
तुम्हारी अठखेलियो को निहारती थी
तुम्हारी हर इच्छा पूरी करती थी
मनभावन भोजन खिलाती थी
थोड़ी देर न देखने पर बेचैन हो जाती थी
मन में गुस्सा आता था
तुझे देख सब भूल जाती थी
सारा गुस्सा छू मंतर
तुझे मारती या डाटती
उस दिन स्वयं रोती थी
अब ऐसा क्या हो गया
तू इतना बदल गया
रह पाएंगा मेरे बिन
जो मां तेरी जान होती थी
मेरा क्या है
कितनी जान बची है
गुजर ही जाएंगी
सडक किनारे या वृद्धाश्रम में
पर तू क्या चैन से सो पाएंगा
तेरा मन नहीं कचोटेगा
तू जैसा भी है मेरा बेटा है
जिगर का टुकड़ा है
तेरे बारे में बुरा कैसे सोच सकती हूँ
तू कुछ भी करें
तब भी दुआ ही निकलेगी
बददुआ नहीं
माँ हूँ न
तुझे दुखी नहीं देख सकती
ईश्वर तुझे हमेशा सुखी रखे
फलें फूले और आगे बढें
यही बहुत है मेरे लिए
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