आज वट पूर्णिमा है
विश्व पर्यावरण दिवस भी है
वट पूर्णिमा के दिन स्त्रियां इसकी पूजा करती है
फेरे लेती है
पति की मंगल कामना करती है
उनकी लंबी आयु का वरदान मांगती है
सावित्री और सत्यवान की कथा से जुड़ी है यह पूजा
देखा जाय तो यह सही मायनों में पर्यावरण दिवस ही है
जहाँ पेड की पूजा और परिक्रमा की जाती है
वह भी बरगद का पेड़
जो कोई फल नहीं देता
लेकिन ऑक्सीजन भरपूर देता है
पेड़ सलामत रहेंगे
तभी तो जग सलामत है
संयोग है आज यह एक साथ आए हैं
पेड़ मानों कह रहा हो
मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगा
इस धागे को याद रखूगा
पति क्या पूरे परिवार की रक्षा करूँगा
अपनी सामर्थ्य भर प्यार लुटाऊगा
तुम निश्चिंत रहना बहना
तुम्हारे इस धागे का कर्ज हर पल चुकाऊगा
मैं खडा हूँ इस तरह
यह भी तो एहसान है
जब तुमने मुझे जीवन दिया है
तब तुमको भी तो जीने के लिए
प्राणवायु दूंगा
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