Friday, 21 July 2023

मणिपुर का दोषी कौन ???


सतयुग में  सीता का हरण हुआ था
गिद्धराज जटायु ने रावण से लोहा लिया था
रावण ने उन्हें कभी हाथ नहीं लगाया
अशोक वाटिका में सुरक्षित रखा 
इतनी तो मर्यादा बची थी
परिणाम तो सर्वविदित है 

द्वापर  में तो माधव आए थे 
सुदर्शन चक्रधारी ने द्रौपदी की लाज बचाए रखी
सब मौन थे 
बडे बडे बलशाली 
उस सभा में भीष्म भी थे 
गुरू द्रोण भी थे 
महात्मा विदुर भी थे
पांच पांडव भी थे
सब मौन धारी हो गए थे 
सर झुका कर लाचार बन गए थे
मर्दानगी गायब हो गयी थी
परिणाम महाभारत हुआ था

कलियुग चल रहा है
भगवान कल्कि न जाने कब अवतरित होंगे 
तब तक क्या नारी की मर्यादा तार - तार होती रहेगी 
नग्न कर उसे सडक पर भीड़ के साथ घुमाया जाएंगा
सभ्यता कहाँ गई 
ईश्वर का जब तक अवतरण नहीं हो जाता
तब तक तो इसकी जवाबदेही सरकार की बनती है
चुनी हुई सरकार है
जनता के माई - बाप हैं 
राज धर्म क्या याद दिलाना पडेगा 
इतनी अराजकता देश में 

डर लग रहा है 
हर औरत को 
कानून का डर नहीं 
बेखौफ होकर 
यह वही भीड है 
जो औरत को परदे में रखने की हिमायती 
आज सडक पर अश्लीलता का नंगा नाच कर रही है
दर्शक के साथ-साथ सहभागी 
संस्कृति की दुहाई देने वाले नपुंसक 
आज पूरी पुरूष जाति कलंकित हो रही है
निर्वस्र वे औरतें भले हुई हो
उस भीड़ का हर व्यक्ति निर्वस्र हुआ है
क्या मुंह दिखाएँगे
अपने घर की औरतों को
माँ  , बहन , पत्नी , बेटी तो इनके घर में भी होंगी 
धिक्कार है ऐसी गंदी सोच रखने वालों की । 

हर देशवासी के मन में क्षोभ और पीड़ा है
सरकार के मन में भी है
इनसे समस्या हल नहीं होगी 
इक्कीसवीं सदी का सुदर्शन चक्र उठाना पडेगा 
किसी को तो माधव बनना पडेगा 
वहाँ राज दरबार था 
यहाँ संसद है लोकतंत्र का मंदिर 
यही से आवाज उठे 
क्या होता है 
यह तो वक्त बताएगा

देश - विदेश सब जगह भारत की छवि धूमिल हो रही है 
मीडिया अपना कर्तव्य कैसे अदा करता है
क्योंकि कहीं न कहीं उसकी भी जवाब देही  बनती है
क्या कर रहा था अब तक
सीमा- सचिन के प्यार के किस्से दिखा रहा था
मंदिर के भ्रमण करा रहा था 
सेल्फी के समय का हादसा दिखा रहा था
सब कुछ उसे दिख रहा था 
सिवाय मणिपुर के 
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था

सवालों के घेरे में तो सब हैं 
कोई भी अछूता नहीं है
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हर भारतवासी ।

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