Friday 21 July 2023

कडवाहट से भरी मिठास

कैसे गुजरा समय 
अच्छा या बुरा
अच्छा वक्त को भी जीया 
बुरे वक्त को भी जीया 
कभी खुशी रही
कभी गम रहा 
कभी ईश्वर को धन्यवाद 
कभी ईश्वर से शिकायत 
कभी जिंदगी को कोसा
कभी आनंद से फूले न समायी 
पता नहीं चला
कैसे वक्त गुजरता गया 
आज भी हालात जस के तस
कभी खुशी कभी गम
अब लगता है
सबको एक बडे से संदूक में बंद कर रख दो
जैसे सामान गद्दे और रजाई रखते हैं 
इन पिटारों को खोलना नहीं है
समझ नहीं आता
जिंदगी इतनी उलझी हुई क्यों हैं 
जलेबी की जैसी टेढी मेढी 
चाशनी में डूबी हुई तो है मिठास लिए हुए 
लेकिन साथ में नीम सी कडवाहट भी लिए हुए 
जिंदगी जीना है
तब कडवा और मीठा दोनों को निगलने पडेगा ।

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