Wednesday, 19 July 2023

सब्जी मंडी की सैर

आज उठे हम जब  सुबह-सुबह 
श्रीमती जी के हाथ की गरमा गरम चाय पीकर 
अखबार खोलने ही वाले थे
अचानक एक थैला पकड़ाते हुए वे बोली
ए जी , जरा सब्जी मंडी से सब्जी ले आइए
हाथ में सौ का नोट दिया और सब्जियों की लिस्ट दी

हम प्रसन्न हो उठे
चलो कुछ पैसे बच जाएंगे तो चुपके से गर्मा गर्म जलेबी भी खा लेंगे 
शुगर के मारे तो घर में मीठा खाने से रहें 
स्कूटर उठाया और पहुँचे सब्जी मंडी 
ताजी ताजी हरी हरी सब्जियां 
मन प्रफुल्लित हो उठा
अब लेने की बारी आई 

दाम पूछा तोरई- भिंडी का 
कुछ ज्यादा लगा
मुड गए 
भोपला - दुधी और बैंगन की तरफ
आज तो वह भी भाव खा रहे थे
करेला दिखा तो वह और सर चढकर बोल रहा था
खैर थोड़ा थोड़ा लिया
फिर मिर्ची,  धनिया और अदरक की बारी
तीखी मिर्ची और तीखी हो गई थी
लाल लाल टमाटर दिखे
उनका दाम सुन तो खुद ही लाल हो गए
गुस्सा आ रहा था अपने आप पर

सौ रूपये के ऊपर ही लग गए थे
जलेबी की तमन्ना धरी की धरी रह गई 
अपनी ही जेब से लग गए 
थैला भरने की बात तो दूर 
लगा लौट के बुद्धू घर को आए 
सब्जी मंडी की सैर कर आए ।

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