एक घरौंदा हो अपना भी ऐसा
जहाँ सूरज की लालिमा
चंद्रमा की चांदनी
बरसती रहे
हरियाली की हर हर हो
पंछियों की चहचहाहट हो
ऊपर खुला नीला आकाश
नीचे विशाल धरती
इनके मध्य अपना प्यारा सा आशियाना हो
अपनों का साथ हो
प्यार की भरमार हो
सब साथ साथ खुशियाँ बांटे
दुख में सब एक-दूसरे का सहारा बने
जो भी हो
मिल - बाँट कर खाएं
संतोष और धीरज का वास रहें
ऐसा अपना एक प्यारा सा परिवार हो
सुंदर घर , प्यारा सा परिवार
ऐसी ही इच्छा है बारम्बार।
No comments:
Post a Comment