जुल्म, जुल्म ही है
अन्याय, अन्याय ही है
वह पुरुष पर हो
नारी पर हो
जाति पर हो
धर्म पर हो
संप्रदाय पर हो
एक ही का पक्षधर??
एक का जुल्म दिखे
उस पर आवाज उठे
दूसरे का नहीं
एक के प्रति सहानुभूति
दूसरे के प्रति नहीं
तराजू का पलडा बराबर हो
एक की संख्या ज्यादा
इसलिए वह सहता रहे
बडे भाई की भूमिका अदा करता रहे
वह बेचारी अबला
इसलिए पुरूष उसका जुल्म सहता रहे
वह बेचारा बूढा
वह बेचारा बच्चा
वह बेचारा अकेला
वह बेचारा इस जाति का
वह बेचारा यह बेचारा
इसलिए जुल्म का अधिकार हमारा ???
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