वह न विवाहिता है
न वह परित्यक्ता है
वह एक नारी है
बिनब्याही
उस समाज की
जहाँ विवाह ही सब कुछ है
बिनब्याही को कोई तवज्जों नहीं देता
यह उसकी मर्जी है
उसके जीवन का निर्णय है
लेकिन किसी को इससे मतलब नहीं
यह हाल औरतों का ही नहीं पुरूषों का भी है
यह हमारा भारतीय समाज
जहाँ सब कुछ जाकर विवाह पर ही खत्म होता है
ब्याह हुआ मानों गंगा नहा लिए
आप कितने भी बडे बन जाओ
उन्नति कर लो
लेकिन एक प्रश्न पीछा नहीं छोड़ता
शादी कब करोंगे
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