गंतव्य पर पहुंचकर किराया दिया तो सौ रूपये
छियान्वे हो रहे थे
टैक्सी वाले ने कहा
छुट्टे नहीं है
देर हो रही थी तो सोचा जाने दू
फिर मन ने कहा
नहीं, यह लोग ऐसे ही करते हैं
व्यक्ति की मजबूरी का फायदा उठाते हैं
स्मृति में कुछ कौंध गया
हम बेस्ट की बस से स्कूल जाते थे
उस समय किराया पांच पैसे थे
जेब में से वह कहीं गिर गया था
कितना रोईं थी फिर चलकर घर पहुँची थी
बात रूपये की नहीं हिसाब-किताब की थी
अभी कुछ दिन पहले खबर आई थी कि एक नामी जूते की कंपनी पर किसी ने केस कर दिया था कि 999 का सामान
एक रूपया वापस नहीं मिलता था
देखा जाएं तो एक एक रूपया छोडा जाएं तो हमारे देश में एक सौ तीस करोड़ का मुनाफा फ्री में
पैसे हैं इसलिए पैसे का वैल्यू न करो
यह सही नहीं है
हर रूपये का महत्व है
कहावत हैं न कि
कुएँ में डालना हो तब भी पैसा गिन कर डालें
लक्ष्मी चलायमान है
उनका सम्मान करना ही होगा
नहीं तो अर्श से फर्श तक आने में देर नहीं लगती
एक - एक पैसे के लिए मोहताज हो जाता है व्यक्ति।
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