सात जन्मों का साथ
जीवन भर साथ निभाने का वादा
आज सब बेमानी
परम्परा टूट रही है
विचार बदल रहे हैं
स्वतंत्रता हावी हो रही है
कोई मजबूरी में साथ नहीं निभाता
धारणाएं बदल रही है
लिव इन रिलेशनशिप की दिशा में आगे बढा जा रहा है
फिर भी नैराश्य हावी है
उसका परिणाम भी दिख रहा है
पारिवारिक बंधन की बात तो छोड़ो
आपसी पति - पत्नी का बंधन निभ जाएं
वही बहुत है
असुरक्षा की भावना हर व्यक्ति के मन में
बेटे का ब्याह हो गया
बेटी का ब्याह हो गया
गंगा नहाय लिया
वह सब सोच ही खतम
पश्चिमी संस्कृति हावी हो रही है
शिक्षा जागरूक कर रही है
तब परिवर्तन भी होना ही है
समाज , परिवार आपसी संबंधों में
इसके लिए तैयार ही रहना चाहिए
जीवन अनिश्चित है
तब संबंध और प्रेम का भी यही हश्र है
आज के दोस्त कल के जानी दुश्मन
क्या कहें
पल पल बदलती इस दुनिया को
आज सही वह कल गलत है
काल का चक्र घूमता है
तब मौसम भी बदलता है
और उसका सामना करने के सिवाय और कोई चारा नहीं ।
No comments:
Post a Comment