Wednesday, 5 July 2023

जनम जनम का साथ

जनम जनम का साथ 
सात जन्मों का साथ
जीवन भर साथ निभाने का वादा
आज सब बेमानी 
परम्परा टूट रही है
विचार बदल रहे हैं 
स्वतंत्रता हावी हो रही है
कोई मजबूरी में साथ नहीं निभाता
धारणाएं बदल रही है
लिव इन रिलेशनशिप की दिशा में आगे बढा जा रहा है
फिर भी नैराश्य हावी है
उसका परिणाम भी दिख रहा है
पारिवारिक बंधन की बात तो छोड़ो 
आपसी पति - पत्नी का बंधन निभ जाएं 
वही बहुत है
असुरक्षा की भावना हर व्यक्ति के मन में 
बेटे का ब्याह हो गया
बेटी का ब्याह हो गया
गंगा नहाय लिया 
वह सब सोच ही खतम 
पश्चिमी संस्कृति हावी हो रही है 
शिक्षा जागरूक कर रही है
तब परिवर्तन भी होना ही है
समाज , परिवार आपसी संबंधों में 
इसके लिए तैयार ही रहना चाहिए 
जीवन अनिश्चित है 
तब संबंध और प्रेम का भी यही हश्र है
आज के दोस्त कल के जानी दुश्मन 
क्या कहें 
पल पल बदलती इस दुनिया को
आज सही वह कल गलत है
काल का चक्र घूमता है
तब मौसम भी बदलता है
और उसका सामना करने के सिवाय और कोई चारा नहीं  ।

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