Sunday, 2 July 2023

शून्य का सफर

बहुत भाग लिया 
बहुत कर लिया
हश्र क्या हुआ 
कुछ भी नहीं 
शून्य से शुरू हुआ सफर शून्य पर ही खत्म 
इसके बीच की गिनती तो याद ही नहीं 
कभी-कभी कुछ भूले - बिसरे मानस पटल पर आती है फिर भूला दी जाती है
उस समय गिनती कम पड जाती थी लगता था अभी बहुत कुछ बाकी है
जोडना - घटाना 
गुणा  - भाग
पहाड़े रटना
बीजगणितीय सवाल 
रेखागणित के त्रिकोण और वर्तुलाकार 
सब कुछ होता रहा समय समय पर
कहीं पास तो कहीं नापास भी हुए 
कहीं कम अंक तो कहीं ज्यादा 
ऐसे ही यह सिलसिला चलता रहा 
अंत में सब शून्य में ही सिमटना है
शुरू शून्य से 
खतम शून्य पर 
इसके बीच की गिनती 
वही जीवन 

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