Sunday, 2 July 2023

अकेलापन

जब तुम्हारे साथ कोई न हो 
न बतियाने वाला
न सुख दुख बांटने वाला 
न सुनने समझने वाला 
तब एक ही सहारा होता है वह है ईश्वर का
भगवान तो हैं न हमारे साथ 
सही है 
ईश्वर तो अपने बच्चों पर दया करेंगे ही
मुश्किल तो यह है 
हम इंसान जो है
कहते हैं हम उम्र का साथ का मजा कुछ और है
बच्चों को बच्चों से 
युवाओं को युवाओं से ही दोस्ती पसंद आती है
हमें भी तो अपने जैसे लोग चाहिए 
वह इस व्यक्तिवाद के दौर में बहुत मुश्किल है 
सब कुछ है
घर बार , रूपया पैसा 
फिर भी खुशी नहीं 
अकेलेपन की त्रासदी से गुजर रहा है
डरा हुआ , भयभीत 
कल को कुछ हो जाएं तो
इस भयावह कल्पना में ग्रस्त 
जीवन को ग्रहण सा लगा है
अंधेरे में एक सूरज की रोशनी ही काफी है
वैसे ही जीने के लिए लोगों का होना भी जरूरी है
सामाजिक प्राणी उसके बिना कैसे रह सकता है 

No comments:

Post a Comment