यह भी पूरा सच नहीं है
कभी-कभी सच से ज्यादा झूठ काम देता है
अच्छा लगता है
मन में गलत की भावना नहीं आती
जब माँ बच्चों से झूठ बोलती है
खाना मांगने पर अपना रखा हुआ दे देती है
और पानी पीकर खाली पेट सो जाती है
जब पिता झूठ बोलता है
कोई बात नहीं अभी तो पैसा है पास में ले लो
भले ही वह कर्ज में डूबा हो
जब ससुराल में सब ठीक है ब्याहता बेटी कहती है ताकि माता - पिता को कष्ट न हो
नयी नयी नौकरी पर लगा बेटा माँ के लिए मंहगा सामान लाता है और उसे कम दाम का बताता है
ताकि माँ को लगे नहीं कि यह मंहगा है
घर खर्च में से कुछ बचाती है और झूठ बोलती है औरत
पैसे तो बचे ही नहीं
अपनी बेटे को डाँक्टर को दिखाना है और बाँस से झूठ बोल कर छुट्टी लेनी पडती है
ऐसे न जाने कितने झूठ हम बोलते हैं
यह झूठ हमारे साथ साथ दूसरों को भी खुशी देती है
तब वह झूठ भी अच्छा है ।
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