पेड़ भी होता है
यह मुझे पता नहीं था
हमारी खिड़की के बाहर आम का पेड़ लगा था पहले तो छोटा सा था
धीरे-धीरे बडा होने लगा
एकदम हरा - भरा, पत्तों से भरा हुआ बहुत सुन्दर
सोचा अब आम आएंगे लेकिन प्रतीक्षा अधूरी रह गई
न जाने कितने बरस बीते आम नहीं आया
कैसा पेड़ है इतना हरा भरा पर फल नहीं
बाद में किसी ने कहा कि
यह बंझा है इसलिए
पेड भी बांझ होता है यह पहली बार पता चला
लोग उसकी छाया में बैठते हैं
पूजा के लिए पत्तियां तोड़ते हैं
बच्चे डालियों पर झूलते हैं
हवन के लिए लकड़ी ले जाते हैं
पर फल नहीं तभी उसका वह महत्व नहीं
बेकार है यह
दिखने में ही ऐसा है
फल तो देता नहीं
यह शायद निसंतान औरत की पीडा है
दुधारू गाय की चार लात भी भली
सर्वगुण संपन्न हो पर निसंतान हो
तब वह महत्व नहीं।
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