Sunday, 10 September 2023

हम पंछी हैं

जमीं हमारी है
आसमां हमारा है
सारा जहां हमारा है
जहाँ चाहे वहाँ जाएं 
उन्मुक्त विचरण करें 
सरहदों  की पाबंदी नहीं 
पहाड़,  नदी , समुंदर , जंगल 
सब हमारे ही घर 
हम कहीं भी डेरा डाले 
कोई रोकटोक नहीं 
एक वृक्ष ही पर ही बनाते 
अपना रैन बसेरा 
एक छोटा सा घोंसला 
पेट भर दाना 
ज्यादा नहीं चाहता 
मन हमारा 
आज यहाँ तो कल वहाँ 
जहाँ बसे वही हमको लगता प्यारा 
पैरों में बेडियाँ नहीं भाती
स्वतंत्रता हमको लगती प्यारी 
निठल्ले बैठ खाना हमारी फितरत नहीं 
सुबह - सबेरे जगते हैं 
मेहनत करते हैं 
सांझ बीते घर लौटते हैं 
लोग हमें चाहते हैं बांध रखना 
वह हम नहीं चाहते 
हम पंछी हैं 
उडान भरना हमारा स्वभाव है ।

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