उस समय जब उसमें काटें चुभते हैं
कांटो पर ही गुलाब खडा है
वह उसकी रक्षा करता है
उसको नहीं चुभोता
जो उसको तोड़ने आते हैं उन्हें
यहाँ तो जिस पर उसकी सुरक्षा का भार है
उसके अपने
वह ही कांटे लिए तैयार रहते हैं
गाहे बगाहे चुभाते ही रहते हैं
गुलाब तो जी भर कर खिलता है
अपनी खुशबू फैलाता है
यहाँ तो खिलने ही नहीं दिया जाता
No comments:
Post a Comment