जरा देखो तो
कितना कुछ है इसमें
अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीती है
अपनों की खुशी में स्वयं की खुशी मानती है
अपने जज्बात को तो जप्त कर लेती है
अपनों के लिए परेशान हो जाती है
उनकी खुशी में शामिल
बच्चों की किलकारियों में
झूमती हवा में
झर झर बरसात में
कडकती बिजलियों में
सरसराते पेडो में
नीलाभ आकाश में
उगते सूरज में
माता-पिता के आशीर्वाद में
मित्रता के कहकहों में
नित नए संघर्षों में
जीती है जिदंगी
स्वर्ग नहीं इसी धरती पर रहना है
कुछ तो जीवन में चाहिए करने में
स्वर्ग जैसे सुख का क्या मतलब
निठल्ले नहीं बैठना है कर्म करना है
भावनाओं में जीना है
वह तो इसी जगह मिलना है
जिंदगी को जीकर देखें
बहुत खुबसूरत है यह
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