सूरज को निकलते देखा
अंधेरे को प्रस्थान करते देखा
प्रकाश का आगमन देखा
कलियों को खिलते देखा
ओस की बूंदो को झिलमिलाते देखा
मंदिर की घंटिया बजते देखा
सबको चलायमान देखा
आलस को छोड़ गतिविधि करते देखा
समझ आ गया
सोते रहना जीवन नहीं है
जागना और भागना
यही जीवन है
जो सोया वह खोया
जो जागा वह पाया।
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