यह गलतफहमी है
अपने गिरेबान में झांकना
मंथन - विचार करना
सही पता चल जाएंगा
हम ही नहीं दूसरे भी सही हो सकते हैं
हम भी कभी-कभी गलत हो सकते हैं
ईश्वर तो है नहीं
कुछ गलती हो ही नहीं सकती
हाड - मांस के बने इंसान हैं
कमजोर मन रहता है
चंचल वाणी होती है
कहीं न कहीं कुछ गडबड हो ही जाती है
गलतफहमी में नहीं रहना है
सत्य स्वीकार करना है
गलत तुम भी हो सकते हैं
गलत हम भी हो सकते हैं
इसमें कोई शर्म और आश्चर्य नहीं
हो गया सो हो गया
सब भूल आगे बढो
स्वयं को भी माफ करों
दूसरों को भी माफ करो
दिल विशाल रखो ।
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