मेरी वाक्यरचना को देखकर
मेरी कविताओं को पढ़कर
यह मत समझ लेना
यह मेरी अपनी है
भावना पर किसी का वश नहीं होता
दूसरों की पीड़ा पर हम दुखी हो उठते हैं
दूसरों के ऑसू हमारी भी पलकें गीली कर जाते हैं
दूसरे की उदासी हमें भी मायूस कर जाती है
भावनाओं के पुतले हैं हम
फिल्म देखते हैं तो जार जार रोने लगते हैं
अन्याय देखकर क्रोध आ जाता है
खुशी देखकर हम ताली बजाते हैं
पात्र की भावनाओं के साथ बह जाते हैं
हमें पता होता है यह
चित्रपट है यह
फिर भी
किसी की लेखनी को देखकर और पढकर अंदाजा लगाना
यह उसकी आपबीती होगी
ऐसा नहीं होता है
उसकी लेखन शैली है वह
कुछ दुख दर्द को उकेरते हैं
कुछ हल्के - फुल्के मजाकिया क्षणों को
हर व्यक्ति की अपनी कला ।
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