Monday, 11 September 2023

हर व्यक्ति की अपनी कला

मेरे शब्दों को देखकर
मेरी वाक्यरचना को देखकर 
मेरी कविताओं को पढ़कर 
यह मत समझ लेना 
यह मेरी अपनी है
भावना पर किसी का वश नहीं होता 
दूसरों की पीड़ा पर हम दुखी हो उठते हैं 
दूसरों के ऑसू हमारी भी पलकें गीली कर जाते हैं 
दूसरे की उदासी हमें भी मायूस कर जाती है
भावनाओं के पुतले हैं हम
फिल्म देखते हैं तो जार जार रोने लगते हैं 
अन्याय देखकर क्रोध आ जाता है
खुशी देखकर हम ताली बजाते हैं 
पात्र की भावनाओं के साथ बह जाते हैं 
हमें पता होता है यह 
चित्रपट है यह 
फिर भी 
किसी की लेखनी को देखकर और पढकर अंदाजा लगाना
यह उसकी आपबीती होगी
ऐसा नहीं होता है
उसकी लेखन शैली है वह
कुछ दुख दर्द को उकेरते हैं 
कुछ हल्के - फुल्के मजाकिया क्षणों को 
हर व्यक्ति की अपनी कला ।

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