Friday, 15 September 2023

खुश रहो

जिंदगी है पानी का बुलबुला 
कब फुट जाएं 
नहीं इसका ठिकाना
जो करना है कर लो
प्रेम- भाईचारे से मिलकर रह लो
व्यर्थ न हो यह आपसी द्वन्द में 
कब छोड कर चल दोगे
सब इसी धरा पर छोड़ कर 
आए है तो जिंदादिली से रहो
खुश  रहो स्वयं भी
औरों को भी 

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