सब मना रहे हैं हमारी अपनी भाषा है
हमारी पहचान है
सत्य यह भी है
हम बात हिन्दी की करते हैं लेकिन अंग्रेजी हर जगह छायी है
वह अपना विस्तार भी करती जा रही है
ग्रामीण अंचल में भी लोग अंग्रेजी माध्यम में भेजना पसंद कर रहे हैं
वास्तविकता तो स्वीकार करना पडेगा
अंग्रेजी रोजी - रोटी की भाषा है
साथ- साथ एक और विवाद छिडा है
भारत और इंडिया नाम को लेकर
इंडिया नाम हमको नहीं चाहिए क्योंकि वह अंग्रेजी है
नाम नहीं चाहिए अंग्रेजी भाषा चाहिए
अंग्रेज तो चले गए, अंग्रेजी रच - बस गयी है
नींव रख कर गए है जो वह बहुत मजबूत है
हिन्दी क्या सारी भारतीय भाषाओं का कमोबेश यही हाल है
तब हिन्दी का क्या ??
उसका महत्व बताना पडेगा
अंग्रेजी को तो छोड़ नहीं सकते
लेकिन अपनी भाषा को भी न छोड़े
जो अपनी माता का आदर न करें और दूसरों की माता का
उसका क्या फायदा
हिन्दी हमारी अपनी है
उसे बोलने में शर्म नहीं गर्व महसूस करें
यह हमारे राष्ट्र की पहचान है
उसको कायम रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है ।
No comments:
Post a Comment