Monday, 2 October 2023

हमारी चाची

पितृपक्ष हो और चाची की याद न आए
चाची तो चाची ही थीं सबसे आगे
तेज तर्रार और फैशन में भी 
उनको अच्छा रहना और दिखना पसंद था 
काम में भी फुर्तीली 
हाजिरजवाबी में तो कोई टिक ही नहीं सकता
चाची रहती थी तो कोई चिंता ही नहीं 
सब काम संभाल लेंगी 
उन पर सौंप दो
ज्यादा पढी - लिखी नहीं पर सबको मात दे सकती
सबको प्रेम से बैठाना , खिलाना - पिलाना 
उतना अपनत्व कि माँ के बराबर ही 
उन पर हक जता सकते थे 
गुस्सा कर सकते थे 
परिवार को साथ लेकर चलने वाली
बडों को सम्मान और छोटों को प्यार देने वाली
अन्याय को न सहने वाली 
मुश्किलों में हार न मानने वाली 
इतने बडे एक्सीडेंट को मात कर दिया पर मौत को नहीं 
 ऐसा नहीं कि किसी के जाने के बाद काम रूकता नहीं 
दुनिया चलती रहती है
पर वो जो व्यक्ति है वह वापस नहीं आता
न उसकी जगह कोई ले सकता है
चाची का नाम तारा था वह तारा ही बन ऊपर चली गई 
जाने को तो सब जाते हैं पर असमय समय
अभी तो जीना था कुछ वर्ष 
विधि का विधान अटल है
मेरे जीवन में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है वह तो कोई भर ही नहीं सकता 
आज अगर वे पृथ्वी पर आई है तो सादर नमन और अपना आशीर्वाद बनाएं रखना हम पर 
यही कहते हैं चाची आपसे ।

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