ऊपर गए तो सब एक रंग में ढल गए
चलो चले पृथ्वी पर
अपनी औलादो को देखें
एक ही रंग काला वह भी कौए के रूप में
अच्छा है वहाँ कोई भेदभाव नहीं
तभी तो उसे स्वर्ग कहा जाता है
पृथ्वी तो पटक पडी है
जाति- पाति धर्म- समुदाय
कहने को तो इंसान पर इंसानियत बहुत कम दिखती
मानव जन्म बडी मुश्किल से मिलता है उसको गंवाना नहीं यू ही
यह पढा तो है पर अमल कौन करता है
अपने स्वार्थ के लिए यह मानव नामक जीव न जाने क्या-क्या करता है
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