Saturday, 7 October 2023

तुम क्या हो ??

तब भी मजबूरी में चुप थी
आज भी मजबूरी में चुप हूँ 
तब माता - पिता का ख्याल था
आज बच्चों का ख्याल है
अपने लिए नहीं कभी-कभी दूसरों के लिए सहना पडता है
उनके लिए जिनकी हम जान है 
उनके लिए जो हमारे जिगर के टुकड़े हैं 
पत्थर दिल और स्वार्थी इंसान क्या समझेगा 
वह तो अहम् में जीता है
मेरे जैसा कोई नहीं 
सही है तुम्हारे जैसा कोई नहीं 
सबके जैसा बनकर देखा होता तब ना
जो मैं मैं करता रहा 
कहने को इंसान तो है इंसानियत तो नाम मात्र की नहीं है
अपने अच्छा बनने के लिए दूसरों को बुरा साबित करना 
मैं सर्वश्रेष्ठ इसी भाव के साथ जीते रहो
यह भी मालूम नहीं कि 
श्रेष्ठ कर्म से बनता है घमंड से नहीं 
कुएँ का मेंढक समझता है कि सारा संसार इसी में है
वही हाल तुम्हारा है
अपना तो हाल किया ही है दूसरों का भी हाल बना कर रखा है
किसी की मजबूरी का फायदा कैसे उठाना 
दूसरों को कब और कैसे झुकाना 
कब बवंडर खडा करना 
यह तुमसे ज्यादा अच्छा कोई नहीं जानता
जब अपनी बारी आती है तब तो बडी बडी अपेक्षा
यह दोहरा चरित्र और मापदंड तुम्हारे पास ही रहे 
कितना अच्छे हो यह तो वही जानता है
जिसका पाला तुमसे पडा हो ।

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