Thursday, 5 October 2023

सूर्य और दीपक

एक बार सूर्य ने कहा कि मैं कुछ दिन के लिए विश्राम करना चाहता हूँ 
उनको पता था कि मेरे बिना अंधकार छा जाएगा 
कौन है जो मेरी जगह ले ले
सब एक दूसरे का मुख देखने लगे
वहाँ नदी  , पर्वत  , हवा इत्यादि सभी थे 
सब कहने लगे कि अब तो अंधकार छा जाएंगा 
तभी एक दीपक जो माटी का था बोल उठा
आपके जितना तो नहीं लेकिन अंधकार को तो भगा सकता हूँ जब तक मुझमें बाती और तेल रहें 
आप जब प्रस्थान करते हैं अस्ताचल की तरफ 
तब मैं ही तो जलता हूँ 
हाँ आप जैसा विशाल तो नहीं जो पूरे जग को प्रकाशित करें 
अपने आस-पास को जरूर प्रज्वलित करता हूँ  
यह सुन सूर्य को भान हो गया कि केवल मुझ पर ही सब आधारित नहीं है ।

No comments:

Post a Comment