उनको पता था कि मेरे बिना अंधकार छा जाएगा
कौन है जो मेरी जगह ले ले
सब एक दूसरे का मुख देखने लगे
वहाँ नदी , पर्वत , हवा इत्यादि सभी थे
सब कहने लगे कि अब तो अंधकार छा जाएंगा
तभी एक दीपक जो माटी का था बोल उठा
आपके जितना तो नहीं लेकिन अंधकार को तो भगा सकता हूँ जब तक मुझमें बाती और तेल रहें
आप जब प्रस्थान करते हैं अस्ताचल की तरफ
तब मैं ही तो जलता हूँ
हाँ आप जैसा विशाल तो नहीं जो पूरे जग को प्रकाशित करें
अपने आस-पास को जरूर प्रज्वलित करता हूँ
यह सुन सूर्य को भान हो गया कि केवल मुझ पर ही सब आधारित नहीं है ।
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