Wednesday, 4 October 2023

श्रद्धा से श्राद्ध

प्रेमचंद जी के कफन का वाक्य याद आता है 
जीते जी पेट भर खाना मयस्सर नहीं नया कपडा नहीं और मरने पर नया कफन 
यही तो विडम्बना है हमारी
हम अपने पितरों को याद करते हैं अच्छी बात है
पर श्राद्ध के नाम पर कंगाल हो जाना
कर्ज लेकर खिलाना - पिलाना 
दान - दक्षिणा देना 
यह तो उचित नहीं है
जो पास में है उसी से श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध करें 
पितर तो जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं बस भावना रहें 
आप उनको याद करें 
आप भरे - पूरे रहेंगे और कर्ज से मुक्त रहेंगे 
आप को खुश देखकर आपके पितृ भी प्रसन्न होगे ।

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