जीते जी पेट भर खाना मयस्सर नहीं नया कपडा नहीं और मरने पर नया कफन
यही तो विडम्बना है हमारी
हम अपने पितरों को याद करते हैं अच्छी बात है
पर श्राद्ध के नाम पर कंगाल हो जाना
कर्ज लेकर खिलाना - पिलाना
दान - दक्षिणा देना
यह तो उचित नहीं है
जो पास में है उसी से श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध करें
पितर तो जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं बस भावना रहें
आप उनको याद करें
आप भरे - पूरे रहेंगे और कर्ज से मुक्त रहेंगे
आप को खुश देखकर आपके पितृ भी प्रसन्न होगे ।
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