आज इन्टरनेशनल गर्ल्स चाइल्ड डे
बेटियां हमारी सबसे प्यारी
सबसे उपेक्षित
आज भी भेदभाव
बेटा और बेटी में
समय बदल रहा है
सोच भी बदल रही है
पर वह कितनी ???
सरकार योजनाओं की घोषणा कर रही है
ताकि बेटी बोझ न लगे
उनको गर्भ में न मारा जाय
वहाँ से बची तो उपेक्षा न हो
वहाँ से बढी तो आगे दहेज की बलि वेदी पर न चढे
वहाँ से बची तो
सारी उम्र घुटते सहते न बीते
बेटी को आने दे
पढाई लिखाई करने दे
उसको बोझ न समझे
वह भी घर का चिराग है
बेटा और बेटी में भेदभाव न करै
वह तो घर की रौनक है
बेटी ,बहन ,पत्नी ,माँ ,बहू के रूप में
वह अहम हिस्सा है समाज का
उसको पंख फैलाने दे
उसकी योग्यता की कदर करें
आप उसे प्यार और सम्मान दे
वह आपकी जिंदगी को बदल देगी
उसके बिना तो समाज की कल्पना भी नहीं
वह बोझ नहीं अति महत्वपूर्ण है
जरा सोचिये
अगर बेटी ही न रही
तब तो कोई नहीं रहेगा
जननी है वह
उसका सम्मान करेंगे
तभी समाज जिन्दा भी रहेगा
मजबूत और शक्तिशाली भी
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