होगी पर मुझे तो मुंबई से ही माया है
इसके बिना कहीं मेरा दिल लगता नहीँ
यह मुझे अपनी लगती है
मेरे दिल के करीब है
यहाँ की सडके लगता है साथी है मेरी
स्वतंत्र महसूस करती हूँ यहाँ
यहाँ का कण-कण अपना
यहाँ की भीड़ में मुझे घबराहट नहीं होती
कहने को तो यह व्यस्त शहर है
कोई फर्क नहीं पडता
व्यस्तता है तभी तो फालतूगिरी नहीं है
सब काम में लगे हुए हैं
भागदौड़ कर रहे हैं
सबके जीवन का कोई न कोई लक्ष्य
यह नगरी सपने नहीं दिखाती पूरा भी कराती है
निठल्लों के लिए यहाँ कोई जगह नहीं
हर चीज यहाँ बिकती है
सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा
सबका पेट भरती है
मुफ्त में कुछ नहीं मिलता
कर्म का संदेश देती नगरी
इससे जिसको एक बार माया मोह जो हुआ
तो वह कभी नहीं छूटा
No comments:
Post a Comment