डुबते हुए को नहीं
यही जिंदगी का फलसफा है
सूर्य तो सुबह भी प्रकाश बिखेरते हैं संध्या को भी जाते - जाते
मानों हमें कह रहे हो
जो बूढे हो गए हैं वे बेकार और बेकाम नहीं हो गए हैं
कुछ नहीं तो आपके बच्चों के लिए वे ज्ञान का भंडार हैं
आपके ऊपर आपके घर पर छत्रछाया हैं
थोड़ा सा प्रेम और अपनापन से उन्हें रीचार्ज करते रहिए
उनमें उत्साह का संचार होगा
छठ पर्व ही एक ऐसा पर्व है जहाँ उगते हुए सूर्य को ही नहीं डुबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है
जितने उत्साह और उमंग से आगमन
उतने ही उत्साह और उमंग से बिदाई
जीवन की भी उदय बेला और संध्या बेला का सम्मान होना चाहिए
वे लोग जिनके कारण आप इस पृथ्वी पर आए हैं
जिन्होंने जी भर कर प्यार लुटाया है
त्याग और बलिदान किया है इच्छाओं का
अब आपका फर्ज है
यही लोग है जो छठी मैया से आपके लिए कभी दुआ मांगी होगी
व्रत-उपवास किए होंगे
कभी उनकी बारी थी आज आपकी बारी है
माता भी आप पर प्रसन्न होंगी
आपके बच्चों पर कृपा करेंगी
छठ केवल पर्व नहीं है जीवन संदेश हैं।
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