नहीं है कुछ तेरे बस में
जब तक वह न चाहे
तेरे चाहने से क्या होता है
होगा वही जो राम रचि
निश्चिंत हो
समर्पण कर दे
वह है ना
किसी से डरना क्यों
दुश्मनों से तो बिलकुल नहीं
मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है
वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है
जब जीवन से नहीं डरे
तब मृत्यु से क्यों डरे
वह तो एक पल के लिए आती है
साथ ले जाती है
जिंदगी तो बरसों साथ निभाती है
जब आएगी
तब एक -एक हाथ कर लेंगे
जूझ ही लेंगे
तब तक तो जी भर जी ले
जी भर जीये मन भर मरे
बस राम साथ हो मेरे
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