Sunday, 21 January 2024

आए हैं राम अवध में

आए है राम अवध में 
सरयू फिर से इतराइ है
झूम उठी अयोध्या 
हर घर में बजी बधाई है
रोम- रोम हर्षित है 
हर मन गर्वित है
भाग जाग उठा भारत का 
आए हैं राम अवध में 

नहीं चाहिए किष्किन्धा 
नहीं चाहिए लंका
हमको तो सबसे प्यारी है 
हमारी अयोध्या 
जन्मभूमि पर लौटे हैं 
पांच सौ वर्षों का वनवास सहा 
तिरपाल में डाला डेरा है
अवधपुरी में ही आना था 
कितनी अवधि बीते भले 
जन्मभूमि तो जन्मभूमि है
उसे कैसे बिसरा दे
अपनी माटी से नाता कैसे तोड़ दे

चौदह वर्ष के वनवास में 
मिले केवट और निषाद
माँ शबरी का आशीर्वाद 
मित्र सुग्रीव और भक्त विभिषण का संग 
किया पराजित लंका को 
माँ कैकयी तो पछताई थी
पुत्र मोह में बिसराई थी
मांग लिया माफी राम से
कैसे न करते माफ अपनी प्रिय माई को
जिसने दिया भरत सा भाई को 

इस बार का वनवास कुछ लंबा खींचा 
आक्रान्ता बाबर ने आघात किया
मर मिटे न जाने कितने 
अपने राम को लाने को
रथयात्रा शुरू की अडवाणी ने
जान गई कोठारी  , शिवसैनिक की
बालासाहेब ने हुंकार किया
सिंघल, जोशी , त्रतम्बरा ने की अगवानी 
सब चल पडे साथ बन कार सेवक
पहुँच गए उस स्थल 
ढहा  दिया उस ढांचे को
जिसके नीचे बसे राम थे
गोली सीने पर खाई
पर राम लला पर ऑच न आई

आया अब एक दूत बजरंगी
जिसका नाम है मोदी
कसम खाई थी सबके साथ
सौगन्ध राम की खाते हैं 
मंदिर वहीं बनाएँगे 
बन गया मंदिर
सज गई अयोध्या 
अब तारीख नहीं 
करो राजतिलक की तैयारी 

कुछ ही पल बाकी है
गाओ मंगल गान
दीप जलाओ - उत्सव मनाओ
भगवा फहराओ
धरती से गगन तक एक ही गुंजार 
जय सिया राम 


इस दीवाली की छटा ही होगी निराली 
हर घर में हो जय जयकार 
जब रामलला हो विराजमान 




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