गुलाब की तरह खिलना
कांटों में रहकर मुस्काना
इतना नहीं है आसान
जिस किसी के पास यह हुनर
वह सचमुच है महान
तूफान का वह करता सामना
ऑधियों को भी ऑख दिखाता
प्रलय की हुंकार के सामने डट कर खडा होता
नहीं करता किसी से याचना
सहता भले भीषण यातना
पता है उसे
वह तो है इंसान
नहीं करता कोशिश बनने की भगवान
ज्ञात है उसे
एक दिन है मरना
तब क्यों नहीं
डट कर जीना ।
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