Saturday, 3 February 2024

मन से परीक्षा दे

बचपन में परीक्षा देने जाते थे
हमको नहीं हमारे पैरेन्टस को डर लगता था
क्योकि हमको अक्ल नहीं थी
थोड़ा बडे हुए 
बोर्ड की परीक्षा पहली बार देना था 
तब डर लगा था
उसके बाद तो लगातार परीक्षा देते गएँ 
डर और तनाव के साथ साथ 
अब सब जिम्मेदारी हमारी थी
गलत - सही की 
वह भी समय पास हुआ 
बारी आई जिंदगी की परीक्षा की 
यहाँ तो कदम कदम पर बाधा थी
नित नयी परीक्षा 
वह परीक्षा तो अच्छी थी यह तो ??
न जाने कितने पडावो से गुजरे
अभी भी गुजर रहे हैं 
लगता है अभी तक कुछ समझे ही नहीं 
बहुत कुछ बाकी है
किताबी परीक्षा तो कुछ भी नहीं 
इन सबके सामने 
तब आराम से परीक्षा दो
राजा के जैसे व्यवहार होता है
खाना - नाश्ता सब हाजिर 
कोई काम नहीं करना है पढने के सिवा 
सभी की सहानूभूति और अपेक्षा भी
तुम जो चाहो वह मिलेगा 
बस पढाई करों और परीक्षा दो 
जिंदगी तुम्हारी फिक्रमंद दूसरे 
तब सब कुछ छोड़ छाड लग जाओ
किताब में सर खफाओ 
इसी पर तुम्हारा भविष्य 
लाभ तुमको ही 
अर्जुन बन जाओ
सब छोड़ केवल पढाई 
कुछ ही दिन बाकी है
उसके बाद तो जो करना है कर लेना
पहले तो मन से परीक्षा दे देना ।

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