क्या इतना बुरा था
जितना हम सोचते हैं
हर दौर का एक अपना फसाना होता है
एक अपनी कहानी होती है
जीने का एक तरीका होता है
अफसोस की बात ही क्या
उस दौर को भी देखा है हमने
इस दौर को भी देख रहे हैं
बहुत कुछ प्यारा था वह भी
तब हम किसी की जान थे
आज हमारी जान किसी में बसती है
यह फर्क तो बस पीढ़ियों का है
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