मरते दम तक
जब नहीं रहोगे तब
क्या होगा उनका तब
सोचा है उनका कल
अमरता का वरदान तो किसी के पास नहीं
कुछ करना तो उनको भी होगा
संघर्षों से नाता जोड़ना पडेगा
समय की धारा में बहना पडेगा
डगमगाती नैया को संभालना पडेगा
अपनी नैया का खिवैया बनना पडेगा
डगमगाती नैया को किनारे लगाएं
मझधार में डुबो दे
यह तो उसी के हाथ में
समृद्धि दे या न दें
बुद्धि अवश्य दें
समर्थ बनाएं लाचार नहीं
जीवन इतना आसान नहीं
जीवन किसी के सहारे भी नहीं कटता
उठना भी है गिरना भी है
चलना भी है दौड़ना भी है
मंजिल तक पहुंचना भी है
आप माध्यम बनें मंजिल नहीं
मंजिल तो उसकी ही हो
वह भी ऐसी
जो केवल आप तक ना जाती हो
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