सब पडे रहते आराम से
ना काम ना जाने कोई फिकर
घूमते रहते सोते रहते
ना कोई अमीर होता ना कोई गरीब होता
सब मनमौजी होते
आटे - दाल - चावल की फिक्र नहीं
रोजी के लिए कोई जुगाड़ करना ही नहीं
एकदम आजाद प्राणी
ना परिवार संभालने की जिम्मेदारी ना कुछ और
लेकिन यह पेट जो मिला है आदमी को
जीवन के सारे रास्ते यही से जाते हैं
यही से हर राह निकलती है
तन - मन सब इसी से चलता
भूख क्या ना कराये??
इसलिए तो ईश्वर ने पेट बनाया
उसमें भूख बनायी
ताउम्र भरते रहो
यह कभी भरता नहीं
भूख ना होती तो शायद इंसान, इंसान भी ना होता ।
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