महसूस किया
कितने अच्छे लोग हैं
मुलाकातों का सिलसिला बढता गया
मन खोलकर उनके सामने रखते रहें
पता नहीं था कि
यह ताक में बैठे हैं
मन में द्वेष लिए हैं
ये लोग दोस्त नहीं प्रचारक हैं
यहाँ- वहाँ की बातें करना
चुगली - चपाटी उनका शगल है
ये मशगूल रहते हैं हमेशा
दूसरों का मजाक बनाने में
इस बात से अंजान
मजाक वे खुद बन रहे हैं
संज्ञा मिली है पंचायती की
उन्हें देख लोग मुख मोड लेते हैं
राह बदल लेते हैं
इस बात से अंजान या संज्ञान
वे ही जाने
हाँ हम जान गए हैं
ऐसे लोगों से ना नजदीकी ना दूरी
बस हाथ जोड़कर
राम - राम
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