Thursday, 11 April 2024

हाथ जोड़ राम राम

मैं उनसे मिली पहली बार
महसूस किया 
कितने अच्छे लोग हैं 
मुलाकातों का सिलसिला बढता गया
मन खोलकर उनके सामने रखते रहें 
पता नहीं था कि
यह ताक में बैठे हैं 
मन में द्वेष लिए हैं 
ये लोग दोस्त नहीं प्रचारक हैं 
यहाँ- वहाँ की बातें करना
चुगली - चपाटी उनका शगल है
ये मशगूल रहते हैं हमेशा 
दूसरों का मजाक बनाने में 
इस बात से अंजान 
मजाक वे खुद बन रहे हैं 
संज्ञा मिली है पंचायती की 
उन्हें देख लोग मुख मोड लेते हैं 
राह बदल लेते हैं 
इस बात से अंजान या संज्ञान 
वे ही जाने 
हाँ हम जान गए हैं 
ऐसे लोगों से ना नजदीकी ना दूरी 
बस हाथ जोड़कर 
राम - राम 

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