Friday, 12 April 2024

हवा और मैं

हवा बहती रही
कान में कुछ कहती रही
मैं समझ पाती 
इससे पहले ही वह चली गई 
अपने होने का एहसास करा गई
अब समझी 
क्या कह रही थी वह
मत रहो बंद घर में 
मुझ सा गतिमान रहो
एक जगह बैठ जंग लग जाएंगी 
बंद में अजीब सी गंध होगी
आना - जाना होता है
कुछ अपनी कुछ दूसरों की 
आपस में बातें होती है
कुछ हम सीखे कुछ वह सीखे 
तब वह नजारा कुछ और ही होता है 

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