कान में कुछ कहती रही
मैं समझ पाती
इससे पहले ही वह चली गई
अपने होने का एहसास करा गई
अब समझी
क्या कह रही थी वह
मत रहो बंद घर में
मुझ सा गतिमान रहो
एक जगह बैठ जंग लग जाएंगी
बंद में अजीब सी गंध होगी
आना - जाना होता है
कुछ अपनी कुछ दूसरों की
आपस में बातें होती है
कुछ हम सीखे कुछ वह सीखे
तब वह नजारा कुछ और ही होता है
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