एक - यार बोर हो गए घर में बैठ
दूसरा- हर कोई हिकारत की नजर से देखता है भाई
तीसरा - अपनी तो कोई इज्जत ही नहीं
चौथा - खाने के लाले पडे हैं और इसे इज्जत की पडी है
तभी एक आता है उछलते हुए
क्या हुआ क्या हुआ सब बोल पडे
अरे इलेक्शन आ रहा है भाई
सब को कार्य कर्ता चाहिए
चाय - नाश्ता , खाना - पीना और पैसा ऊपर से
इसके अलावा मान - सम्मान
भविष्य में नेता भी बन सकते हैं
यहाँ बैठे रहते हैं निठल्ले और गप्प- शप ही
सभा में बैठेंगे और भाषण सुनेंगे
यहाँ- वहाँ भटकने से अच्छा रैली में चलेगे
रोजगार मिल रहा है ना बस
हर दिन किसी न किसी की रैली
कुछ दिनों का तो जुगाड़ हो ही जाएंगा
फिर आगे जीतने पर भी जुलुस
मजे ही मजे
तब फिर चलते हैं और सब उठ खडे हुए
हंसते - खिलखिलाते चल पडे
किसी ने सही कहा है
हाथों में पत्थर और होठों पर नारा
यही है भविष्य हमारा
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