Sunday, 14 April 2024

पछतावा

पत्थर समझा मुझे 
कदर नहीं की 
जब मेरा मूल्यांकन हुआ
तब जाकर समझ आया
क्या खोया 
अब चाहते हो संभालना 
एक बार जो चला गया
वापस नहीं लौटता 
जिसने कदर की 
वह जौहरी बना 
मुझे तराशा - संवारा 
मुझे बहुमूल्य बनाया 
गलती तुम्हारी भी नहीं 
जो जैसा सोच उसकी 
अब सोचते रहो
क्या खो दिया 
हासिल कुछ नहीं 
बस पछतावा के सिवाय 

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