कदर नहीं की
जब मेरा मूल्यांकन हुआ
तब जाकर समझ आया
क्या खोया
अब चाहते हो संभालना
एक बार जो चला गया
वापस नहीं लौटता
जिसने कदर की
वह जौहरी बना
मुझे तराशा - संवारा
मुझे बहुमूल्य बनाया
गलती तुम्हारी भी नहीं
जो जैसा सोच उसकी
अब सोचते रहो
क्या खो दिया
हासिल कुछ नहीं
बस पछतावा के सिवाय
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