Monday, 8 April 2024

मेरा मन

मैं करता रहा बुराई उनकी
इस बहाने छुपाता रहा कमजोरी अपनी
मैं जानता हूँ 
मैं क्या हूँ 
अपनी कमियां मुझे पता है
हाॅ स्वीकार नहीं कर पाता 
दूसरों के कंधे पर धर बंदूक बहुत चलाता हूँ 
मन तो धिक्कारता है
सुकून नहीं पाता हूँ 
पर इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाता हूँ 
कह सकूँ कि हाँ 
कहना बहुत मुश्किल है
अपने को जानना क्या इतना कठिन है 
दूसरों को कटघरे में खड़ा कर 
क्या मैं चैन से सो पाता हूँ 
लोगों को तो नहीं पता
खुद को मन के कटघरे में खड़ा पाता हूँ 

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