इस बहाने छुपाता रहा कमजोरी अपनी
मैं जानता हूँ
मैं क्या हूँ
अपनी कमियां मुझे पता है
हाॅ स्वीकार नहीं कर पाता
दूसरों के कंधे पर धर बंदूक बहुत चलाता हूँ
मन तो धिक्कारता है
सुकून नहीं पाता हूँ
पर इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाता हूँ
कह सकूँ कि हाँ
कहना बहुत मुश्किल है
अपने को जानना क्या इतना कठिन है
दूसरों को कटघरे में खड़ा कर
क्या मैं चैन से सो पाता हूँ
लोगों को तो नहीं पता
खुद को मन के कटघरे में खड़ा पाता हूँ
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