Monday, 8 April 2024

मेरी कामयाबी

कई बार झुका 
कई बार टूटा
कई बार गिरा
तब इस मुकाम पर पहुंचा
कभी-कभी लगा 
अब सब खत्म 
तभी एक आशा की किरण दिखती 
अभी तो बहुत कुछ करना है
अभी से हार मान ली
तो कैसे चलेगा
हिम्मत बंधाता मन 
पीछे से ढकेलता 
फिर से उठा देता
हम खडे होते लंगडाते लंगडाते 
गिरते पडते , उठते बैठते
इस मुकाम पर पहुंच ही गए 
अब आगे देखना है 
पीछे मुड़कर याद कर मुस्कराना है
अपनी कामयाबी पर इतराना है 

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